छत्रपती शिवाजी महाराज निबंध | Shivaji maharaj nibandh in Hindi

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विद्यार्थियों आप भी पढ़ना चाहते हो छत्रपती शिवाजी महाराज पर निबंध तो आपका हम इस लेख में स्वागत करते हैं। यह लेख हमने भारत के महान राजा छत्रपती शिवाजी महाराज पर निबंध के रूप में लिखा है। जिसे आप पढ़कर अपनी परीक्षा में लिखकर अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हो। आप बिना समय गवाएं इस छत्रपती शिवाजी महाराज निबंध 200 शब्द लेख को पढ़ना शुरू कर सकते हो। 

छत्रपती शिवाजी महाराज निबंध 200 शब्द


{Set 1} छत्रपती शिवाजी महाराज निबंध 200 शब्द

छत्रपती शिवाजी महाराज हमारे इस भारत देश के महान, वीर और पराक्रमी राजा थे। छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था। उनके जन्मदिन को हम हर वर्ष 19 फरवरी के दिन शिव जयंती के रूप में मानते है। उनके पिताजी का नाम शाहजी भोसले और माता जी का नाम जीजाबाई था। 

बचपन से ही छत्रपती शिवाजी महाराज बड़े वीर और साहसी थे। मलयुद्ध, भाले बरछे, तीर तलवार, घुड़सवारी, तथा बाण विद्या में प्रवीण थे। उन्होंने अपने द्वारा बनाई गई सेना से 19 वर्ष की आयु में ही तोरण, सिंहगढ़ आदि किलो पर अधिकार जमा लिया। 

छत्रपती शिवाजी महाराज जी मराठा साम्राज्य के संस्थापक माने जाते हैं उन्होंने बीजापुर के सेनापति अफजलखां को युद्ध में हराया था। वे दिल्ली के मुगल सम्राट औरंगजेब से भी युद्ध में लड़े। वे धर्मनिरपेक्ष थे। वें बुलंद हौसले के मालिक थे। उन्होंने महाराष्ट्र के विभिन्न जातियों के संघर्ष को खत्म कर उनको एकता के सूत्र में पिरोया था। छत्रपती शिवाजी महाराज ही वह पहले शासक थे जिन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण पक्ष की रक्षा के लिए नौसेना बनाई थी। 

3 अप्रैल 1680 को छत्रपती शिवाजी महाराज का स्वर्गवास हुआ। उनका नाम भारतीय इतिहास में महान पराक्रमी राजा के रूप में सदैव अमर रहेगा। शिव जयंती के रूप में उनका जन्मदिन प्रत्येक वर्ष 19 फरवरी के दिन मनाया जाता है। 

{Set 2} छत्रपती शिवाजी महाराज निबंध | Shivaji maharaj nibandh in Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के एक महान एवं तेजस्वी पुरुष थे। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा का कार्य किया। वे अपने समय के एक कुशल शासक, वीर सेनानी एवं प्रजा के हित की चिंता करने वाले महान राजा थे। 

शिवाजी महाराज का जन्म 10 अप्रैल सन 1627 ई के दिन महाराष्ट्र के शिवनेरी के दूध में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहजी तथा माता का नाम जीजाबाई था। शिवाजी के जन्म के बाद शाहजी ने दूसरा विवाह कर लिया इसके बाद जीजाबाई अपने पुत्र के साथ पुना आ गई। 

जीजाबाई ने अपने पुत्र शिवाजी के मन में अच्छे संस्कार डालें। उनके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत हुई संतों की संगति में उन्हें धर्म की शिक्षा प्राप्त हुई। शिवाजी ने बीजापुर के एक दुर्ग को जीत कर अपनी विजय यात्रा आरंभ की इसके बाद उन्होंने रायगढ़, पुरंदर तथा राजगढ़ के किलो को जीत करके अपनी शक्ति बढ़ाई। 

शिवाजी महाराज ने अपने जीवन काल में कई किले तथा दुर्ग जीते। उन्हें अपनी वीरता के कारण काफी प्रसिद्धि भी मिली। उन्होंने कर लेने की नई प्रणाली शुरू की जिसका नाम चौथ प्रणाली था। 1674 ई. में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ। उन्होंने हिंदू पद पादशाही की स्थापना की अपने शासनकाल में उन्होंने लगातार कई विजय प्राप्त की। 

शिवाजी महाराज अपने समय के एक महान, वीर योद्धा थे और इन्हीं महान योद्धा की मृत्यु 15 अप्रैल 1690 ई के दिन हो गई। शिवाजी महाराज एक स्वाभिमानी तथा आदर्श पुरुष थे। हमें शिवाजी महाराज के विचारों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। भारत देश को इन पर गर्व है। 


{Set 3} छत्रपति शिवाजी महाराज पर निबंध

छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान, पराक्रमी और वीर राजा थे। शिवाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी शाहजी भोसले था। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहजीराजे भोसले था और माता का नाम जीजाबाई था।


शिवाजी महाराज के विचारों पर उनकी माताजी का अधिक प्रभाव पड़ा। उनके चारित्रिक निर्माण में उनकी माता जीजाबाई का विशेष योगदान था। शिवाजी महाराज की माता जी ने उन्हें अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा दी। वह बालक शिवा को बचपन से ही रामायण, महाभारत तथा भारतीय वीरों की कहानी सुनाती थी। उन्होंने शिवाजी को धर्म, संस्कृति और राजनीति की उचित शिक्षा भी दी। दादोजी कोंडदेव ने उन्हें युद्ध कौशल तथा शासन प्रबंध में निपुण किया था।


छत्रपति शिवाजी महाराज बचपन से ही मल युद्ध, तीर तलवार, घुड़सवारी बाण विद्या में कुशल थे। शिवाजी महाराज ने अपनी 15 साल की आयु में ही अपने साथियों के साथ स्वराज्य की प्रतिज्ञा की थी। अपने शत्रुओं को उन्होंने पराजित करके मराठा साम्राज्य की स्थापना की।


उनके शासनकाल में सबको समान न्याय मिला करता था। उनके राज्य में स्त्रियों का भी सम्मान किया जाता था। सभी धर्मों को भी सम्मान की निगाह से देखा जाता था। कोई भी भेदभाव नहीं था।


शिवाजी महाराज का 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ के किले में देहांत हुआ। शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व से हम आज भी प्रभावित होते है। शिवाजी महाराज बहुमुखी प्रतिभा के धनी, वीर, दयालु स्वभाव के थे।


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