बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में in Hindi | Berojgari par nibandh

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विद्यार्थियों इस लेख में हमने आपके लिए बेरोजगारी की समस्याओं पर निबंध लिखा है जिसे आपको पढ़ना चाहिए। अगर आपके भी पाठ्यक्रम में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध है और आपको भी बेरोजगारी पर 500 शब्दों का निबंध की तलाश है तो आप सही Berojgari par nibandh लेख में आए हो आप इस निबंध को पढ़कर याद करके अपनी परीक्षा में लिखकर अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हो।

बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में

बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में



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प्रस्तावना

बेरोजगारी की समस्या एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्या है। यह समस्या समाज में युवाओं को तो प्रभावित करती ही है इसी के साथ समाज के सभी वर्गों को भी प्रभावित करती है। भारत जैसे विकासशील देश में भी यह समस्या अधिक गंभीर है भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है लेकिन रोजगार के अवसर इतने तेजी से नहीं बढ़ पा रहे हैं। यही कारण है कि आज भी युवा रोजगार की तलाश में बेरोजगार ही घूम रहे हैं।


बेरोजगारी के प्रकार

बेरोजगारी के विभिन्न प्रकार होते हैं इनमें से कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित है।

1. संरचनात्मक बेरोजगारी - नौकरी की इच्छा रखने वाले बेरोजगार लोगों के कौशल और नौकरी देने वाले लोगों द्वारा मांग की गई कौशल का एक समान ना मिल पाना।

2. चक्रीय बेरोजगारी - व्यापार चक्र में उतार-चढ़ाव के परिणाम स्वरुप आर्थिक मंदी के दौरान अस्थाई रूप से नौकरी छूट जाती है।

3. मौसमी बेरोजगारी - कुछ व्यवसाय विशेष मौसम में ही कार्य प्रदान करते हैं जैसे पर्यटन क्षेत्र।

4. प्रच्छन्न बेरोजगारी - रोजगार व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार न मिलने से बेरोजगारी भी बढ़ती है।

बेरोजगारी के कारण

भारत में हमें बेरोजगारी के कई कारण देखने को मिलते हैं।
  1. जनसंख्या वृद्धि - तेजी से बढ़ती जनसंख्या रोजगार की मांग को बढ़ा रही है। जनसंख्या तो बढ़ रही है लेकिन रोजगार के अवसर तेजी से नहीं बढ़ पा रहे हैं। जनसंख्या अधिक है और रोजगार के अवसर कम।
  2. शैक्षणिक असमानताएं - स्कूल और कॉलेज में दिए जाने वाले ज्ञान और कौशल का नौकरी देने वाले द्वारा मांगे गए ज्ञान व कौशल से भिन्न होना।
  3. तकनीकी उन्नति - आजकल कई ऐसी मशीन आ गई है जो की स्वचालन मशीनें है। जिनकी वजह से कई काम के लिए लोगों की आवश्यकता खत्म हो गई है। साथ ही तकनीकी उन्नति ने इंसान को कई क्षेत्रो में रिप्लेस कर दिया है।
  4. कृषि पर अत्यधिक निर्भरता - भारत में अधिकांश लोग कृषि पर ही निर्भर करते हैं। परन्तु उन्हें पर्याप्त रोजगार नहीं मिल पाता।

बेरोजगारी के प्रभाव

  1. व्यक्ति - इससे आय में नुकसान होता है, जीवन स्तर में कमी आती है, आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है, मनोवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि आदि।
  2. समाज - सामाजिक अशांति, अपराध में वृद्धि और समाज में तनाव का माहौल आदि।
  3. अर्थव्यवस्था - उत्पादन में कमी, मानव संसाधनों की बर्बादी आर्थिक वृद्धि और विकास में बाधा आदि।

बेरोजगारी को रोकने के उपाय

बेरोजगारी को निम्नलिखित उपाय से रोका जा सकता है
  1. कौशल विकास कार्यक्रम - उद्योगों की मांगों के साथ तालमेल बैठाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम को बढ़ावा देना चाहिए।
  2. स्वयंरोजगार को बढ़ावा देना - सरकार को नए स्टार्ट अप्स और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
  3. औद्योगीकरण को बढ़ावा देना - नए उद्योग स्थापित करने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  4. कृषि क्षेत्र में सुधार - आधुनिक तकनीक का उपयोग कर कृषि क्षेत्र में अधिक लोगों को रोजगार देना संभव है।
उपसंहार
बेरोजगारी की समस्या एक बहुत ही गंभीर समस्या है लेकिन अगर सही दिशा में सही कदम उठाए जाए तो इसे कम किया जा सकता है। इसके लिए सरकार व समाज को मिलकर सही दिशा में कार्य करना चाहिए। ताकि हर व्यक्ति को रोजगार मिल सके व देश उन्नति कर सकें।

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