विद्यार्थियों आप अगर नारी सशक्तिकरण पर निबंध (Nari sashaktikaran par nibandh) को अच्छी तरह पढ़ लेते हो तो आप इस निबंध को अपनी परीक्षा में लिखकर अच्छे अंक ला सकते हो।
(Set 1) नारी सशक्तिकरण पर निबंध 250 शब्दों में
महिला सशक्तिकरण को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाओं में उस शक्ति का प्रवाह होता है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है। हमारे इस समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है।आज के इस तकनीकी व आधुनिक युग में महिला सशक्तिकरण भी एक विशेष चर्चा का विषय है हमारे भारतीय प्राचीन ग्रंथों में नारी के महत्व को इस प्रकार बताया गया है की "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः" इस पंक्ति का अर्थ होता है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता भी निवास करते है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है ताकि उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक विकास में बराबरी के अवसर मिल सके। जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता तथा तरक्की प्राप्त कर सके यह वह तरीका है जिसके द्वारा आज के समय में महिलाएं भी पुरुषों की तरह अपनी हर जरूरत और आकांक्षाओं को पूरा कर सके। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि प्राचीन काल से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुष प्रधान समाज था प्राचीन भारतीय समाज में महिला पुरुष भेदभाव के साथ ही सती प्रथा, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, बाल विवाह आदि परंपराएं थी। आज भी हमारे समाज में इनमें से बहुत सारी प्रथाएं उपस्थित है भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलाई जा रही है। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिला हेल्प लाइन योजना, उज्ज्वला योजना, महिला शक्ति केंद्र जैसी योजनाएं चलाई जा रही है।
भारत सबस तेज आर्थिक विकास करने वाले देशों की सूची में शामिल हुआ है उसे देखते हुए भारत को अपने भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण पर भी ध्यान देना चाहिए और इसे प्राप्त करने के लिए ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमे महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के द्वारा देश में लैंगिक समानता और आर्थिक विकास को प्राप्त किया जा सकता है।
(Set 2) नारी सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Nari sashaktikaran par nibandh
रूपरेखा
- प्रस्तावना
- महिला सशक्तिकरण का अर्थ
- महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य
- महिला सशक्तिकरण से लाभ
- महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
- महिला सशक्तिकरण की शुरुआत
- उपसंहार
प्रस्तावना
हमारे देश भारत में आज से नई बल्कि प्राचीन काल से ही नारी को समाज में एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस बात का प्रमाण हमें हमारे धार्मिक ग्रंथो में भी देखने को मिलता है। हिंदू धर्म के बहुत से ऐसे ग्रंथ हैं जिनमें नारी को देवी के समान पूजनीय माना गया है। हमारे ग्रंथों में लिखा हुआ है की "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः" अर्थात जहां नारी का सम्मान किया जाता है वहां देवता भी निवास करते हैं।कोई भी समाज या राज्य तब तक प्रगति और विकास की तरफ नहीं बढ़ सकता जब तन नारी के प्रति भेदभाव और हीन भावना का त्याग नहीं करेगा। इसलिए समाज में नारी का सम्मान जरूरी है और नारी का सशक्त होना भी बहुत जरूरी है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ
महिला सशक्तिकरण का अर्थ समझना बहुत ज्यादा जरूरी है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में पूरी तरह सुधार लाना है। ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा, आर्थिक तरक्की में पुरुषों के समान ही बराबरी के मौके मिल सके जिससे महिलाएं सामाजिक स्वतंत्रता की प्राप्त कर सके। इसी प्रकार नागरिक सशक्तिकरण का सही शब्दों में अर्थ होता है कि अपने स्वयं के निर्णय और अधिकार नारी खुद अपने दम पर ले सके। अपने निर्णय के लिए नारी को दूसरों के ऊपर आश्रित न रहना पड़े।नारी सशक्तिकरण का उद्देश्य
नारी सशक्तिकरण का उद्देश्य महिलाओं की उन्नति, विकास तथा सशक्तिकरण को मूर्त रूप प्रदान करना है। हमारे समाज में नारियों के लिए एक ऐसा माहौल तैयार करना जिससे वे अपनी क्षमताओं को समझ सके। सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक जीवन में महिलाओं द्वारा भागीदारी और निर्णय क्षमता का समान अवसर प्रदान कराना। महिलाओं को स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कैरियर, रोजगार, समान वेतन, सामाजिक सुरक्षा तथा सरकारी नौकरी आदि में समान अवसर प्रदान करवाना।महिला सशक्तिकरण से लाभ
महिला सशक्तिकरण के द्वारा महिलाओं के साथ-साथ परिवार के हर सदस्य का भी विकास संभव है। परिवार का विकास तभी होगा जब महिलाओं की भी पुरुषों जितनी समान भागीदारी होगी। एक महिला परिवार के लिए रीढ़ की हड्डी के समान होती है। महिलाओं को सशक्तिकरण बनाना बहुत ज्यादा जरूरी है। जिस घर, परिवार की महिला सशक्त होगी वह पूरा घर परिवार अपने आप सशक्त हो जाएगा। जहां परिवार सशक्त होंगे वहां पूरा समाज अपने आप सशक्त हो जाएगा। जब महिलाएं सशक्त होंगी तो वह अपने जीवन के सभी निर्णय स्वयं ले सकेंगी। वह परिवार और समाज में सम्मान के साथ रह सकती है।महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
21 सी सदी के दौर में एक तरफ हम चांद पर जीवन की संभावनाओं को खोज रहे हैं तो दूसरी तरफ आदि आबादी को पीछे रखकर विकास नहीं कर सकते। महिलाओं की भागीदारी से ही समाज, विश्व और देश का कल्याण संभव है। महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए भी पड़ी क्योंकि आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से लोगों में लैंगिक असमानता देखने को मिली है। पुरुष प्रधान देश में परिवार और समाज के बीच महिलाओं को उनके अधिकारों और अन्य कई कारणों से भी दबाया जाता था। इसलिए महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए तभी देश के विकास का सही आधार बनेगा।महिला सशक्तिकरण की शुरुआत
राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था। महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से हुई है। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन नैरोबी में की गई।उपसंहार
महिलाओं के साथ भेदभाव का उनकी शक्ति को कम आंकना बिल्कुल गलत है। हमारी समाज में फैला हुआ लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए नारी जाति को सशक्त बनाना जरूरी है। इसके लिए उन्हें स्वतंत्र वातावरण, शिक्षा तथा विकास के पूर्ण अवसर मिलने चाहिए। महिला शक्ति को सम्मान देने की शुरुआत हमारे घर से ही होनी चाहिए। घर में बेटी के जन्म को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना की एक बेटे के जन्म को दिया जाता है।
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